The smart Trick of Shodashi That Nobody is Discussing

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Inspiration and Empowerment: She's a symbol of strength and courage for devotees, especially in the context in the divine feminine.

ऐं क्लीं सौः श्री बाला त्रिपुर सुंदरी महादेव्यै सौः क्लीं ऐं स्वाहा ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं ॐ ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं

आस्थायास्त्र-वरोल्लसत्-कर-पयोजाताभिरध्यासितम् ।

The Chandi Route, an integral part of worship and spiritual practice, Primarily throughout Navaratri, is not really basically a textual content but a journey in by itself. Its recitation is a powerful Software during the seeker's arsenal, aiding from the navigation from ignorance to enlightenment.

The supremely beautiful Shodashi is united in the center with the infinite consciousness of Shiva. She eliminates darkness and bestows light. 

It can be an encounter from the universe within the unity of consciousness. Even within our regular state of consciousness, Tripurasundari may be the attractiveness that we see on the globe all-around us. No matter what we understand externally as attractive resonates deep inside.

हस्ताग्रैः शङ्खचक्राद्यखिलजनपरित्राणदक्षायुधानां

लक्षं जस्वापि यस्या मनुवरमणिमासिद्धिमन्तो महान्तः

या देवी दृष्टिपातैः पुनरपि मदनं जीवयामास सद्यः

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

The noose signifies attachment, the goad signifies repulsion, the sugarcane bow signifies the brain as well as the arrows are classified as the five sense objects.

सर्वोत्कृष्ट-वपुर्धराभिरभितो देवी समाभिर्जगत्

वन्दे वाग्देवतां ध्यात्वा देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१॥

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की get more info ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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